Friday, July 31, 2009

मशक्कत से तैयार होती खिलाड़ियों की नयी पौध, सोन तट पर नियमित अभ्यास


डेहरी-आनसोन (रोहतास) सोन नद के किनारे तैयार हो रही है खिलाड़ियों की नई पौध। सुविधाओं का अभाव झेल कर भी खेलों में अपना भविष्य तलाशने को मजबूर हैं बच्चे। एनीकट में सुबह शाम दौड़, क्रिकेट, ऊंची कूद, लंबी कूद का अभ्यास करते युवकों को देख लोग बरबस कह उठते हैं, काश यहां खेलने के मैदान होते। पूर्ववर्ती सांसद स्व. अजीत सिंह की पहल पर स्थानीय पुलिस लाइन में निर्माणाधीन स्टेडियम का कार्य अधूरा पड़ा है। शहर का एकमात्र खेल मैदान पड़ाव मैदान बरसात में पानी व नेताओं के कार्यक्रम से अक्सर बाधित रहता है। स्टेडियम की जब घोषणा हुई तो युवाओं का उत्साह देखते बनता था।

शिवगंज का रवि कुमार ऐनीकट में सुबह शाम दौड़ लगाने आता है। 10वीं के इस छात्र की रुचि क्रिकेट में है। मित्रों के साथ यहां टिल्हा पर खेलता है। सुभाषनगर के दीपक पांडेय लंबी कूद की अजमाईश करना चाहता है। स्नातक खंड एक का छात्र दीपक कहता है कि कालेज प्रशासन इसमें सहयोग कर रहा है। सिपाही कुमार, मंटू कुमार, सद्दाम हुसैन एथलिट बनना चाहते हैं। कहते है खेल में नियमित अभ्यास आवश्यक है। आईएससी के छात्र दीनदयाल को वालीबाल में रुचि है। विभिन्न खेलों के लिए यहां अभ्यास को आ रहे बच्चों का कहना है कि अपने यहां खेल के साथ खेला हो रहा है। लेकिन बीएमपी के जवानों ने इनका उत्साहव‌र्द्धन किया है। सप्ताह में दो तीन दिन वे इन्हें खेल के गुर सिखा रहे है।


- दैनिक जागरण
२९ जुलाई २००९

Tuesday, July 7, 2009

बिहार की माटी में छिपा है मूर्खो का सोना



भूसंपदा के मामले में बंटवारे के बाद 'गरीब' बना बिहार, 'मूर्खो का सोना' [पायराइट] के मामले में अमीर है। इकोनामिकल सर्वे आफ बिहार [ईएसबी] की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में पायराइट का सुरक्षित भंडार करीब 534 लाख टन है।

पायराइट का उपयोग उर्वरक के साथ ही नकली ज्वेलरी और कागज निर्माण में होता है। हालांकि सूबे में पायराइट के दोहन के रास्ते बंद हैं। रोहतास जिले के अमझोर में 'पायराइट फास्फेट केमिकल्स' की इकाई लगाई गई थी, जो अर्से से बंद पड़ी है।

पायराइट को सोने जैसी चमक के कारण 'फूल्स गोल्ड' यानी मूर्खो का सोना भी कहा जाता है। रोहतास के अमझोर में इसका सर्वाधिक निक्षेप है। हालांकि, पूर्वी बिहार के मुंगेर, जमुई के पठारी क्षेत्र में भी यह पाया जाता है। प्राचीन समय में इसका उपयोग हथियारों के संचालन में भी किया जाता था। गया तथा जमुई में क्वा‌र्ट्ज की भी प्रचुर मात्रा है।

गौरतलब है कि पायराइट फास्फेट एंड केमिकल्स लिमिटेड [पीपीसीएल] की अमझोर यूनिट को अप्रैल 2000 में बोर्ड फार इंडस्ट्रियल फाइनांस एवं रिकंस्ट्रक्सन [बीआईएफआर] ने बीमार इकाई घोषित किया था। इसी आधार पर कंपनी बंद कर दी गई। पीपीसीएल की राजस्थान के सीकर और देहरादून में भी इकाई है, पर इस समय तीनों बंद हैं।

विनिवेश आयोग ने यह प्रस्ताव दिया था कि पीपीसीएल की इकाई में सिंगल सुपर फास्फेट का निर्माण कराया जाए चूंकि सल्फ्यूरिक एसिड के निर्माण को लेकर तकनीकी बाधा बनी रही। आयोग का प्रस्ताव था कि देहरादून इकाई को बेच दिया जाए और सीकर [राजस्थान] और अमझोर [बिहार] की इकाई को क्लब कर इच्छुक निजी निवेशक को सौंपा जाए। यदि ऐसा नहीं हो तो बिहार व राजस्थान की इकाई को बजटीय सपोर्ट देकर चालू कराया जाए। लेकिन विनिवेश आयोग का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास लंबित है।

पूर्व विधायक ललन पासवान के अनुसार पीपीसीएल को चालू करने के लिए उन्होंने विधानसभा में भी मुद्दा हाल तक उठाया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विभागीय अधिकारियों से उनकी बातचीत भी हुई। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार, दोनों स्तर पर रुचि नहीं ली गई।

झारखंड के अलग होने से देश का मात्र एक प्रतिशत खनिज अब बिहार की माटी में रह गया है। अल्पता के कारण बिहार में खनिज आधारित उद्योग सीमित हैं।

दैनिक जागरण, जुलाई ७, २००९